क्यों आज मन उदास है
निराश है हताश है ?
ना अब भूख है ना प्यास है।
क्यों आज ना खुद पर थोड़ा भी विशवास है ?
क्यों आज लगता है हमारी कोशिशों का ना यहाँ अहसास है ?
क्यों आज मन उदास है
निराश है हताश है ?
क्यों विफल आज सब प्रयास हैं ?
क्यों आज तिमिर अनायास है ?
क्यों आज यह विचार हैं कि जतन सब बेकार हैं ?
क्यों आज मन उदास है
निराश है हताश है?
ना यत्न है ना प्रयत्न है
ना आस है ना साथ है
झुठी सबकी प्रीत है सब मतलबों के मीत हैं ।
क्यों विकल मन कर रहा हरपल पुकार
क्यों अंतरमन में गूँजा है यह मौन चित्कार
अब लौट के मुझे बस जाना है
जहाँ वो अपना घौंसला पुराना है
परिंदे जहाँ है अब नए
क्योंकि ना मिले वो कभी
जो छोड़ के सब उड़ गए ।
ढह गई वो मंजिलें जिन्हें हम पर फ़क्र था
काल का यह चक्र है
जो कल था वो ना आज है
जो आज है ना कल रहें
जो आज है ना कल रहें ।
Very nyc heart touching poem.
ReplyDeleteVery nice heart touching poem
ReplyDeleteExcellent job
ReplyDeletePenned very well..
ReplyDeleteWell said !!!👌👌
ReplyDeleteVery nice poem👍👍👍
ReplyDeleteBeautiful lines,
ReplyDeleteNice lines Manila
ReplyDeleteNice poem Manika
ReplyDeleteविरह मैन की व्यथा का सम्पूर्ण चित्रण
ReplyDeleteमन
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery nice Mam
ReplyDeleteMindblowing
ReplyDeleteThis led me wonderstruck! So beautiful and amazing.
ReplyDeleteSuperbbbb
ReplyDeleteVery Nice and Beautiful
ReplyDeleteExcellent 😀🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteAmazing👍👍
ReplyDeleteVery nice poem
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