हाँ आज दीवाली है
हर और लगता है आज खुशहाली है ।
घर हैं चमके दमके
चेहरे भी हैं खिले -खिले क्योंकि आज दीवाली है।
क्या आज सच में दीवाली है?
क्या आज हर और खुशहाली है?
ऊँचे ऊँचे आलीशान मकानों के पीछे क्या जो वो छोटी -छोटी झोंपडियाँ हैं
क्या आज वहाँ कुछ बदलने वाला है ?
क्या आज वहाँ भी सुख के सवेरे हैं ?
क्या आज वहाँ कुछ कम मायूसी के घेरे हैं?
क्या आज वहाँ अँधेरा पिघलने वाला है?
क्या आज सच में दीवाली है?
आओ! इस दीवाली कुछ नया कर दिखाएं
पापा के पैसों को ना पटाखों में जलाएँ
धरती माँ की छाती को ना धुएँ से छलनी बनाए
चलो आज कुछ नया कर दिखाएँ
चाईना वाली लड़ी को अब सिर्फ़ बातों में नहीं हकीकत में भी हम ना अपनाएँ ।
खुशियों के हम दीप जलाएँ
मिट्टी के दीपक से अपना घर आँगन सजाएँ
वो दीपक जो कुम्हार के चेहरे की कुछ तो शिकन मिटाएँ
और गरीब के घर में भी दीवाली की थोड़ी सी तो रौनक लाएँ ।
हाँ हम दीप जलाएँ
आशा का , विश्वास का
हाँ हम दीप जलाएँ
अधर्म के विनाश का ,और दिग्विजय पुरूषार्थ का ।
इस दीवाली खत्म करें वो किस्सा
जिसमें हमें दिखता है बस अपना -अपना हिस्सा
छोड़ कर हम स्वार्थ को
एक मुस्कान उधार दें किसी अनाथ को।
इस दीवाली थाम लें हाथ एक गरीब का
इस दीवाली बनें सहारा किसी बेसहारे का ।
इस दीवाली त्याग दें लोभ और मोह को
इस दीवाली छोड़ दें हठ और क्रोध को
आओ इस दीवाली हम वो दीवाली मनाएँ
जहाँ ज़्यादा नहीं तो किसी एक चेहरे पर तो हम खुशी बिखराएँ
जहाँ ज़्यादा नहीं तो किसी एक चेहरे पर तो हम खुशी बिखराएँ ।
BeautifuB
ReplyDeleteNice lines👍👍
ReplyDeleteGr8...
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteVery touching and true picture of the day
ReplyDeleteVery touching and true picture of the day
ReplyDeleteVry true
ReplyDeleteVery nice👌👌
ReplyDeleteExcellent poem... worth reading
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteAmazing☺️👌
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ReplyDeleteBhut badhia
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteBeautifully presented poem
ReplyDeleteMind blowing mam
ReplyDelete👌 😊 😊
ReplyDeleteWell done 🙌👌👏
ReplyDeleteFabulous mam👌
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