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Showing posts from April, 2021

रिश्ते कलयुग के

श्री राम ही जाने कैसा समय का यह फेर है? जिधर देखो हर ओर अब हेर-फेर है। जब "मैं" बहन तो भाभी बुरी । जब "मैं" भाभी तो ननद चालाक-चतुरी। ना जाने कौन सा कलयुग का यह दौर है? देखकर आज भाई- भतीजे अब क्यों अकसर बहनों के दिल जले? सदियों से मायका था वीर का। पर फिर आज जो भाई-भाभी का घर बसे तो लुटेरे और साँप की तरह कुडंली मारने का उन पर कलंक चुभे तीर सा? ससुराल में बेटी -बहन बोझ और मायके में कभी खत्म ना होने वाली ज़िम्मेवारी। वर्षों जो भाई  ज़रूरत पड़ने पर बहन का हाथ थामे जो वक्त आने पर देखकर बहन के सिर पर सुख की छाया अपने परिवार का रूख करे तो भी अँगुली उसी पर उठे। तो भी उसे दुआएँ क्यों ना मिलें? कानून का लेकर सहारा ना जाने कितनी बेटियों ने है अपना मायका बिगाड़ा? झूठे आँसू ,झूठी दलीलें एक बार ईमानदारी से जो मतलबी बहनें अपनी तिजोरी, अपना बैंक बैलेंस गिन ले तो शायद वह कर पाएँ समय पर पश्चाताप। पुश्तैनी संभाल कर सोना भी जिनके भाग्य में ना हो चैन से सोना, ऐसी बहनें रखें याद भाभी के भाईयों और मायके से जिनको है जलन बस एक बार,बस एक बार मायके में उसका भी देख लें चलन। जो जान जाएँ भाभी की तरह ...